श्री मोहन पासवान वर्ष 2011 में अन्ना हजारे के आंदोलन से जुड़े थे और उन्होंने उस आंदोलन में बहुत उत्साह से भाग लिया और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते रहे और समाज को भी जागरूक करते रहे। वह सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर लोगों को आवाज उठाने के लिए प्रेरित करते रहे। इसलिए वे अपने क्षेत्र और साथियों में भी उन्हें किराड़ी का अन्ना कहने लगे। गांधी के सच्चे अहिंसा और संगठनात्मक विचार उनकी प्रेरणा रहे हैं। आंदोलन के दौरान विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्हें कई बार पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था। और एक बार तो कुछ राजनीतिक दलों और असामाजिक तत्वों ने उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी, लेकिन बिना किसी डर के वे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते रहे और संघर्ष करते रहे। अन्ना आंदोलन की समाप्ति के बाद समाज की बेहतरी और सामाजिक उत्थान के लिए एक संस्था बनाने का निर्णय लिया गया और इस संगठन के माध्यम से बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे विषय पर आंदोलन भी जारी रखा। इसका उद्देश्य भय मुक्त समाज है और सभी शिक्षित और आत्मनिर्भर बनें।


श्री लक्ष्मण प्रसाद को संतों का सानिध्य बचपन से मिला,इसी क्रम में महापुरुषों के जीवन के बारे में थियोरेटिकल लाइफ के बारे में सुना पढ़ा परंतु जब अन्ना मूवमेंट में शामिल हुआ तब जाकर उन संतों महापुरूषों के प्रैक्टिकल लाइफ को महसूस किया अर्थात् जीया और तब जाकर बचपन से सुषुप्तावस्था में पड़े परहित सरिस धर्म नहीं भाई, परपीड़ा सम नहीं अधमाई की भावना हिलोरें मारने लगी। इसी क्रम में जाड़े के दिनों में सुबह सुबह नन्हें मुन्ने बच्चों को कांपते हुए ठिठुरते हुए बारिश के दिनों में कीचड़ में गिरते पड़ते जाते हुए वो भी 3-4 किलो मीटर दूर खतरनाक रेलवे पार दिल दहला देने वाली घटना की धड़कन के साथ फाटक पार कर स्कूल जाने वाले नन्हें मुन्ने बच्चों के वास्तविक कष्ट को महसूस किया फिर तब जाकर ही एक संस्था NGO के गठन कर प्राथमिक आवश्यकता किराड़ी प्रेम नगर 2 और प्रेम नगर 3 में सरकारी स्कूल की मांग की ओर आगे की ओर बढ़ता गया और संतों महापुरूषों के जीवन से प्राप्त प्रेरणा को वास्तव में जीने की तम्मन्ना, जज्बा, जुनून, आत्मविश्वास आदि आदि के पथ पर अग्रसर होता गया। उसी क्रम में स्वास्थ्य से संबंधित माता बहनों के लिए किराड़ी के निठारी में जच्चा बच्चा केंद्र की शुरुआत भी हुई।




मेरा जन्म एक मध्यमवर्ग परिवार में हुआ।पढ़ाई लिखाई दिल्ली के सरकारी स्कूल में हुई।पापा लेबर का काम करते हैं।क्योंकि मैंने गरीबी में जिंदगी जी है इसलिए जिंदगी का अनुभव है।मुझे अपनी जिंदगी की परेशानियों को दूर करने के लिए दूसरों की सहायता लेनी पड़ी तभी मुझे समझ आया कि मदद मांगने वाले की मदद करनी चाहिए और जो मदद ना मांगे उसकी मदद को समझना चाहिए।अपने और समाज के कल्याण के लिए।सामाजिक परिस्थितियों के अनुसार अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए।सामाजिक सुधार व कल्याण में अपने नागरिक भूमिका को सुनिश्चित करने के लिए।मैंने जिन परिस्थितियों का सामना किया नहीं चाहती कि किसी और को भी उन परिस्थितियों का सामना करना पड़े।इसलिए एनजीओ के लोगो के काम से प्रभावित होकर मैंने एनजीओ ज्वाइन किया।सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने के उद्देश्य से।